tag:blogger.com,1999:blog-725989517651635361.post3425569309404035424..comments2024-03-23T22:39:59.865+05:30Comments on नमस्ते namaste : इसी रास्ते परनूपुरं noopuramhttp://www.blogger.com/profile/18200891774467163134noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-725989517651635361.post-50184549110316391122014-09-06T10:32:38.353+05:302014-09-06T10:32:38.353+05:30कूड़े का ढेर और टूटी दीवार और सूखी घास और चिड़िया की...कूड़े का ढेर और टूटी दीवार और सूखी घास और चिड़िया की बीट भी देख ली!!! क्या क्या देखती रहती है यह लड़की दुखी मन से। और जब मन प्रसन्न हुआ तो चाय और चाट के ठेले दिखने लगे। लोगों के घर में भी झांक लिया। सही जा रही हो बिटिया।<br /><br />हा हा। मज़ाक़ कर रहा हूँ। कविता पढ़ कर दिल जो ख़ुश हो गया, सो मज़ाक़ सूझ रहा है। विषय अच्छा है, इसमें कोई सन्देह नहीं, हम सब के मन की अंतर्भावना है। अभिवयक्ति उत्तम है। यही तो तेरी विशेषता है रे बिट्टो। रोज़मर्रा के जीवन से छोटी छोटी बातें निकाल लाती है, जो यूं तो अर्थहीन लगती हैं मगर अर्थ पाकर बहुत बड़ी हो जाती हैं।<br /><br />एक और बात जो अभी पिछली कविता – अनुभव – में कर रहा था। कितना भी घना अंधेरा हो, प्रकाश की एक किरण उसे चीर देती है। प्रकाश अंधकार पर, सुख दुःख पर हमेशा भारी है। यही परम सत्य है।<br /><br />मगर यह भी सदा के लिये जान ले बिटिया, की अगर दुःख न हो, तो सुख का आनन्द क्या? यदि अंधकार न जाना, तो प्रकाश का महत्व कैसा? जान ले कि जो हमारे जीवन का प्रकाश है, उसका नाम ही कृष्ण है। जब श्याम होगा, तो ही प्रकाश होगा। यह समझ लेगी, तो जीवन में कभी दुःख न होगा। ख़ुश रह। लिखती रह।Shams Noorur Rehman Farooqihttps://www.blogger.com/profile/07939925275061955927noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-725989517651635361.post-60899589980248349952014-08-27T19:34:05.380+05:302014-08-27T19:34:05.380+05:30धन्यवाद शर्माजी ।
मन के जीते जीत है, मन के हारे ह...धन्यवाद शर्माजी ।<br /><br />मन के जीते जीत है, मन के हारे हार ।नूपुरं noopuramhttps://www.blogger.com/profile/18200891774467163134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-725989517651635361.post-4448493096016478462014-08-26T16:37:37.275+05:302014-08-26T16:37:37.275+05:30मन की अवस्था बदल देती है प्राय: हमारी दृष्टि| सभी ...मन की अवस्था बदल देती है प्राय: हमारी दृष्टि| सभी परिस्थितियाँ एक रहने पर भी मानसिक स्थिति के अनुसार अकसर बदल जाता है देखने का दृष्टिकोण और उसका प्रभाव| भले ही हमारे दुखी मन पर सुखी मन का हो पलड़ा अधिक भारी लेकिन किसी के हृदय में इसके विपरीत भी हो सकता है|ओम प्रकाश शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09578278846416094466noreply@blogger.com