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रविवार, 2 नवंबर 2025

जागो


मन के अंधियारे 

दूर भगाओ ।

दीप जलाओ ।

देव जागे,

तुम भी जागो !

अपने भीतर झाँको !

खो बैठे जो

उसे ढूँढ कर लाओ !

घुप्प अंधेरा हो तो

ख़ुद मशाल बन जाओ !

जग में उजियारा लाओ !

जागो, जागो, दीप जलाओ !

अथवा स्वयं दीप बन जाओ!


6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 03 नवंबर , 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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  2. सच है जलना या जलाना रौशनी देना … इस से बढ़ कर क्या

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