शुक्रवार, 31 अगस्त 2018

मनोबल

सब कुछ 
टूट - फूट कर 
बिखर जाये, 
छिन्न - भिन्न हो जाये, 
खो जाये  . .
कुछ भी हो जाये  . . 

आदमी चोट खाता है पर
फिर उठ खड़ा होता है। 
हिम्मत का धनी होता है। 

विसंगतियों से हारता है। 
पर हार नहीं मानता। 

वो अपाहिज हो ही नहीं सकता, 
जिसका मनोबल नहीं टूटा। 



मंगलवार, 28 अगस्त 2018

करमजला बना गोविंदा


एक था गोविंदा ।                                                 
सब कहते थे करमजला ।
माँ - बाप का इकलौता बेटा ।
पर पैरों से लाचार था ।
बैसाखी लेकर चलता था ।
किसी काम का ना था ..
खेत क्या जोतता ?

बच्चे जब खेलते थे ।
दूर बैठा तकता रहता ।
गुपचुप रोता रहता ।

एक दिन माँ ने देखा ।
गोविंदा चुपचाप बैठा
टूटे - फूटे सामान का
कुछ बना रहा था .
माँ ने सोचा ,
रोने से कुछ करना अच्छा ।

फिर एक दिन माँ ने देखा,
बच्चों ने घेर रखा था ।
गोविंदा कुछ दिखा रहा था । 
एक अटपटा खिलौना था । 
पर सबके मन को भा रहा था । 
और गोविंदा मुस्कुरा रहा था । 

बस माँ ने ठान लिया । 
अब यही करेगा मेरा बेटा । 
टूटे - फूटे को जोड़ेगा । 
फूटी किस्मत संवारेगा । 
पैरों पे खड़ा नहीं हो सकता तो क्या ?
हाथ के हुनर से अपना पेट भरेगा । 

फिर क्या था !
माँ - बाप ने बीड़ा उठाया । 
करमजले को खिलौने बनाना 
सबने मिल कर सिखाया । 
सारे गाँव ने करमजले को अपनाया । 
जो काम सहानुभूति से कभी ना होता। 
वही हुनर ने कर दिखाया । 
अब कोई बच्चे के लाचार पैर नहीं देखता । 
अब समाज बन गया है मनसुखा । 
और मनसुखा के कंधे पर बैठा 
करमजला अब गोविंदा हो गया है !



रविवार, 5 अगस्त 2018

एक आला मित्रता के नाम का

कहो मित्र,
कैसे हो ?
एक अरसा हुआ,
न सलाम न दुआ ?
सब कुशल तो है ना ?
शिकायत नहीं करता,
बस दिया उलाहना ।
जिससे तुम जान जाओ,
याद बहुत आते हो ।
मन मसोस कर
कुछ करने पर,
अब भी टोक देते हो ।
परछाईं की तरह,
साथ चलती है तुम्हारी याद ।
पक्की है,
हमारी मित्रता की बुनियाद ।
क्या फ़र्क पड़ता है ?
तुम्हारा पास होना,
ना होना ।
जब तक निरंतर
होता रहे संवाद,
मन से मन का ।
मन का कोई कोना,
हो ना सूना,
इसलिए कहा ।
एक आला
कृष्ण-सुदामा के नाम का,
एक आला
हमारी मित्रता के नाम का,
सदा संजोए रखना ।


शनिवार, 4 अगस्त 2018

माँ कभी छोड़ के जाती है क्या ?

माँ चली गई ।

बिटिया रानी ..
बहुत बदलेगी ज़िन्दगी अभी ।
तुम भी बहुत बदलोगी ।

माँ के लिए,
जो आंसू आंखों में आए,
उन्हें निरर्थक बहने मत देना ।
अपने हृदय में बो देना ।
फिर पूरे अधिकार से
जीवन भर सींचना ।

माँ की स्मृति को
अलमारी में मत सहेजना ।
उनकी एक-एक बात को
अपने आचरण में
जीवित रखना ।
जीवन पर्यंत ..
आराधना करना ।

उनकी व्यथा को
सृजन का रूप देना ।
उनके स्वप्नों को
अपने रंग देना ।

माँ कभी
छोड़ के जाती है क्या ?
जब जी हो ..
मन के दर्पण में
उनको देखना ।