घर के खिड़की - दरवाज़े
इन दिनों
बंद करते वक़्त
बहुत आवाज़ करते हैं ।
जैसे घर में
रहने वालों के
अहम टकराते हों
बात बात पर ।
कल की तूफ़ानी बरसात में
घर के बाहर
पहरेदारी करता
बड़ा छायादार पेड़ भी
धराशायी हो गया ।
घर के भीतर और बाहर
अब पड़ने लगी हैं दरारें ।
मैं असमंजस में हूँ ।
मुश्किल वक़्त में
मैं कहाँ पनाह लूँ ?
भीतर या बाहर . .
मैं कहाँ महफ़ूज़ हूँ ?