बुधवार, 30 जून 2010

ख़बर

हाँ.

तुम्हारा
ईमेल मिला.
तुम्हारा
ख़त मिला.
फ़ोन पर
झटपट
बात भी हुई.
इक्का-दुक्का
मुलाक़ात भी हुई.

पर
तुम्हारी
कोई
ख़बर नहीं मिली. 



nupuram@gmail.com

सोमवार, 7 जून 2010

Old Age


Old age
is such a sweet
and sad thing
at once.

Sweet in
listening patiently ..
so protective and loving ..
and above all
forgiving.

Sad in
depending upon others
who do not have the patience
or the time
to pay attention
to their childlike
whims and fancies.





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ज़िम्मेदार कौन है ?

इस दुनिया में
दो तरह के
लोग होते हैं .

एक वो
जो देने की हैसियत रखते हैं,
दूसरे वो
जो ज़रूरतमंद होते हैं .

एक वो
जो हुकूमत करते हैं ,
दूसरे वो
जो हुक्म बजाते हैं .

हैसियत रखने वाले
हुकूमत करने वाले
नचाते हैं
जिस दुनिया को
लट्टू की तरह,
वो दुनिया
चलती है
हुनरमंद और ज़रूरतमंद के
बल पर .

है ना मज़े की बात ये ?
ज़िम्मेदार कौन है इसके लिए ?




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तलब

सिखाने से
कोई कुछ नहीं
सीखता .

अनुभव
जब चढ़ाता है सान पर
आदमी को ,
तराशता है तेज़ धार पर
ज़िंदगी को,

तब
सीखने की तलब होती है .

ये तलब
सिखाती है
आदमी को
जीना .

सिखाने से
कोई कुछ नहीं
सीखता.

अनुभव सिखाता है जीना.




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