मंगलवार, 21 नवंबर 2017

प्राण प्रतिष्ठा



काठ की गुड़िया 
केवल सिर हिलाती है,
बोल नहीं पाती है ।
पर मोल लेने वालों को 
ऐसी ही मूक प्रतिमा 
बेहद पसंद आती है ।

काठ की गुड़िया 
अनेक प्रकार की, 
सारी दुनिया में 
पाई जाती है । 
कई नामों से 
जानी जाती है ।

मिट्टी की गुड़िया ।
मोम की  गुड़िया। 
प्लास्टर ऑफ़ पेरिस की तो 
ग़ज़ब ढाती है । 
नाक - नक़्श महीन 
और मुँह में ज़बान नहीं । 
और क्या चाहिए जी ?

हामी भरती हुई 
बेजान चीज़ भी 
बड़ी आकर्षक और 
मनभावन होती है ।
खूबसूरती की 
मिसाल होती है।  
कुल मिला कर 
कमाल होती है !

जिस दिन ये गुड़िया 
बोलने लगेगी,
ना जाने क्या-क्या 
कह देगी । 

सब की भलाई 
इसी में है,
ये गुड़िया घर में 
सजावट के लिए ही रहे ।
इसके बोलने में 
बड़ा खतरा है।  

काठ की गुड़िया  . . 
मिट्टी की गुड़िया  . .
कांच की गुड़िया  . . 
रबर की गुड़िया  . . 

जिस दिन ये गुड़िया 
बोलने लगेगी,
सुन्दर दिखे ना दिखे  . . 
अच्छी लगे ना लगे  . . 
दुनिया बदल देगी ।   

6 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद Deepak Saini ji.
    आपको अच्छी लगी कविता ।
    जान कर अच्छा लगा ।

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  2. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'शुक्रवार ' ०५ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



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    1. आपका बहुत-बहुत आभार
      बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी
      सुप्रभात

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  3. Very informative, keep posting such good articles, it really helps to know about things.

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