मंगलवार, 20 दिसंबर 2016

कर्म ही कविता है

बड़े बड़े व्याख्यान, 
उपदेश महान, 
लेख, आलेख, 
बुद्धिजीवियों के सुझाए 
सारगर्भित समाधान, 
विश्लेषण, विवेचना, 
समालोचना, 
काव्य के सजावटी फूल, 
सब रह जाते हैं 
धरे के धरे ।


सब रह जाते हैं 
धरे के धरे,
अगर समय पर 
ये सारा दर्शन 
काम न आए ।
जो जैसा घाट रहा है, 
वैसा ही रह जाए ।

लेकिन यदि 
नेक नीयत से किया 
एक छोटा - सा भी काम, 
जीवन में एक इंच मुस्कान 
के वास्ते 
जगह बना दे, 
सोई हुई आस जगा दे,
दुःख में सुख ढूंढ़ना सिखा दे,
जो बस में नहीं 
उसे स्वीकार करना, 
जो स्वीकार नहीं 
उसे बदलने का हौसला दे,  
टूट कर जीने का फलसफ़ा दे  . . 

तब ही, 
शब्द की सार्थकता है । 
तब ही, 
शब्द जीवन से जुड़ता है ।  

यानी,
कर्म ही गीता है । 
कर्म ही कविता है ।