बुधवार, 15 जुलाई 2015

सत्य


सब कुछ 
ध्वस्त 
होने के बाद 
जो बचता है,
वही 
शाश्वत सत्य 
होता है ।  

अच्छे और बुरे से परे


अच्छे और बुरे,
इनकी परिभाषा के परे 
सत्य 
मैंने जाना है ।  
अनुभव ही पैमाना है ।
गहरे पानी पैठ कर 
पहचाना है । 
जिस समय 
जो सही लगे,
वही करे,
तो बंदा 
खरा होता है ।
अच्छे बुरे का मापदंड 
ठीक उसी वक़्त 
तय होता है,
जिस वक़्त 
निर्णय लेना होता है ।
आदमी से बड़ा 
वो लम्हा होता है,
जब सच्चाई की 
कसौटी पर 
उसका सारा चिंतन 
दाँव पर लगा होता है ।