शनिवार, 7 नवंबर 2015

हरियल



शहर के
पथरीले बीहड़ में,
बस अभी अभी,
पंख फैला कर उड़ता
एक तोता देखा !

अनायास ही,
मन मेरा
हरा-भरा हो गया !



1 टिप्पणी:

  1. शहर के
    पथरीले बीहड़ में,
    बस अभी अभी,
    नूपुर को देखा।

    वह उसका प्रकाशमय चेहरा,
    दिल खिल उठा मेरा –

    हरे कृष्ण, हरे कृष्ण,
    कृष्ण कृष्ण, हरे हरे।

    पंख खोले, और उड़ चला॥
    (जी मैं; वही वाला तोता)

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