नमस्ते namaste
शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं । स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
रविवार, 26 अक्तूबर 2014
दीये की लौ
आले में रखा
दीया,
कब तक
और कितनी दूर तक
दूर करता रहेगा
अँधेरा ?
एक दिन तो
मुझे चल देना होगा,
हथेली पर लेकर दीया ..
लौ का काजल
आँखों में आंज कर,
नज़र चमका कर,
चीर कर रख देना होगा
अँधेरा .
एक दिन तो
मुझे अपना मन
साधना होगा,
मानो
दीये की लौ .
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