रविवार, 16 जून 2013

कैसे कहोगे ?




कैसे कहोगे ?
कि उससे प्यार है तुम्हें ..
चाँद उतार कर 
उसकी हथेली पर 
रख दो .
या इन्द्रधनुष का ताज 
उसके सर पर 
रख दो .
सितारों के झुमके 
पहना दो .
आसमान को ज़रा-सा 
झुका दो .
हाथ की लकीरों में  
पढ़वा दो .
बिना कहे 
सब कुछ बता दो .

तुम्हें पता है क्या ?
दिल से दिल तक एक 
ख़ुफ़िया रास्ता होता है ,
जिसका पता सिर्फ़  
दिल को होता है .
कहने की भी ज़रुरत है क्या ?
धड़कनों का अफ़साना 
ख़ुद-ब-ख़ुद बयाँ होता है .