शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

गले मिले ईद और तीज









छायी है हर तरफ हरियाली !
बूंदा-बांदी का है मौसम !
दो त्योहारों की ख़ुशी मिली ! 
गले मिल रहे ईद और तीज !



इधर मिली छोटों को ईदी !          
उधर बहन-बेटियों को सिंधारा !
इधर आपस में हुई मिलनी !
उधर सखियाँ झूलने चलीं झूला !    
  
 

छायी है हर तरफ हरियाली !
बूंदा-बादी का है मौसम !
दो त्योहारों की ख़ुशी मिली ! 
गले मिल रहे ईद और तीज !


                                             
  
इधर बिखरी हँसी झिलमिलाती !
उधर घेवर, घूमर और हरी चूड़ियाँ !
इधर हथेली पर रची मेहँदी !
उधर ढोलक की थाप पर बंधा समाँ ! 




छायी है हर तरफ हरियाली ! 
बूंदा-बांदी का है मौसम !  
दो त्योहारों की ख़ुशी मिली ! 
गले मिल रहे ईद और तीज !


      






2 टिप्‍पणियां:

कुछ अपने मन की भी कहिए