बुधवार, 22 मई 2013

हिसाब की डायरी




बड़ी  दिलचस्प है , 
मेरे घर की 
हिसाब की डायरी .
काले रंग की ,
मझोले आकार की 
हिसाब की डायरी .

मज़े की बात है ,
ये एक ही डायरी है 
घर में ,
जिसमें 
घर के हर सदस्य की 
लिखावट मिलेगी .

क्या - क्या खरीदा ..
कितने में खरीदा ..
किसको कितने पैसे दिए .
किसके कितने पैसे खर्च हुए ..
पॉलिसी कब मैच्योर होगी ..
लोन की किश्त कब भरनी होगी ..
कहीं किसी का नंबर नोट है .
कहीं किसी पासवर्ड का उल्लेख है .
ये डायरी नहीं 
माँ की गृहस्थी की 
छोटी तस्वीर है .
जन्मपत्री है ,
इस घर की .

डायरी के हर पन्ने पर 
एक सुविचार छपा है ,
जैसे हर कदम पर 
मील का पत्थर बना है .
मील के पत्थर पर लिखा है,
सफ़र तय होने का हिसाब - किताब .

डायरी के लिए निश्चित है ,
उधर कोने वाली दराज़ .
डायरी में दर्ज हैं 
घर चलाने के उतार - चढ़ाव .
खर्च और कमाई का लेख - जोखा ,
लेन - देन  का समूचा ब्यौरा .   
इस डायरी का हर पन्ना ,
है गृहस्थी की चालीसा .




6 टिप्‍पणियां:

  1. मुश्किल है मेरे लिये कुछ लिख पाना। इस डायरी को मैंने अपनी नानी, और अपनी मम्मी के हाथों में हमेशा देखा है। मगर मेरा इससे कभी कोई लगाव न था। उल्टे मुझे कभी कभी उलझन सी होती थी कि मुझसे जुड़े हुये कुछ ख़र्चे, या बातें इसमें क्यों दर्ज़ होती हैं कि कोई भी पढ़ ले।

    डायरी में नीचे सुविचार वाली लाइन भी याद है। मैं बस उनको ही पढ़ता था। मगर मैं यक़ीन के साथ कह सकता हूँ कि मेरी नानी या मम्मी ने इनको कभी नहीं पढ़ा होगा। दस - दस पैसे और दो किलो चावल का हिसाब रखने वालों को सुविचार समझ नहीं आते।

    यह मेरी कविता पर टिप्पणी नहीं है। मैं बस अपने विचार लिख रहा हूँ। कविता अपनी जगह अच्छी है। भावनाओं को विस्तार दिया गया है। 'गृहस्थी की चालीसा' का प्रयोग ख़ास पसंद आया। जिस तरह हनुमान चालीसा को दुःख एवं कष्टों को दूर करने के लिये उत्तम उपाय माना जाता है। उसी तरह इस डायरी का अगर ठीक से प्रयोग करें तो बहुत से दुःख और कष्ट दूर रह सकते हैं। जाप करती रहें। लिखती रहें। ख़ुश रहें॥

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  2. shams sahab shukriya.hamesha ki tarah apne is baar bhi hanuman chalisa aur grihasti ki chalisa ko lekar badi sundar baat kahi hai. aabhari hoon.

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