शनिवार, 1 अक्तूबर 2011

तुम्हें नहीं पता




याद है उस दिन
जिस दिन
माँ ने तुम्हें
एक ज़ोर का
चाँटा मारा था
और बहुत
डॉटा था ..
उस दिन
जब तुम
रोते-रोते
सो गए थे,
तुम्हारे गालों पर
आंसू
सूख गए थे..
उस दिन
देर रात तक मॉं
जागती रही थी.
बहुत देर तक
तुम्हारे सिरहाने बैठी
हिलक हिलक कर
रोती रही
और तुम्हारा माथा
सहलाती रही..
उस दिन
बहुत देर तक.

तुम्हें पता नहीं.


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