सोमवार, 7 जून 2010

तलब

सिखाने से
कोई कुछ नहीं
सीखता .

अनुभव
जब चढ़ाता है सान पर
आदमी को ,
तराशता है तेज़ धार पर
ज़िंदगी को,

तब
सीखने की तलब होती है .

ये तलब
सिखाती है
आदमी को
जीना .

सिखाने से
कोई कुछ नहीं
सीखता.

अनुभव सिखाता है जीना.




noopurbole.blogspot.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कुछ अपने मन की भी कहिए